जालन्धर/मैट्रो सेवा
डिप्स चेन द्वारा बच्चों के लिए घर पर ऑनलाइन क्लास के दौरान काइट फ्लाइंग और मेकिंग गतिविधि का आयोजन किया गया। गतिविधि के दौरान बच्चों ने पतंग बना कर और उड़ा कर चाइनीज डोर इस्तेमाल न करने का संदेश दिया।बच्चों ने घर पर पड़े पुराने कागज और चीजों का इस्तेमाल करके पतंग बनाई और इन्हें उड़ाने के लिए चाइना की डोर की जगह सामान्य मांझे का इस्तेमाल किया। इस दौरान बच्चों ने एक दूसरे के साथ पतंग उड़ाने के तरीके भी शेयर किए।
गतिविधि के दौरान टीचर्स ने पेरेंट्स को पतंग उड़ाते समय पूरी सावधानी बरतने के लिए कहा ताकि बच्चों को किसी भी तरह का नुक्सान न पहुंच सके। इसके साथ ही पतंग छत की जगह खुले मैदान में उड़ाए ताकि किसी भी तरह का नुक्सान न हो सके।
प्रिंसिपल्स ने बच्चों को बताया कि बाजार मे बिक रही चाइना की बनी पतंगें और डोर देखने में काफी आकर्षक होती है लेकिन यह आपको और दूसरों को पूरी तरह से घायल कर सकती है। इससे न केवल इंसानों को बल्कि आकाश में उडऩे वाली पक्षियों और धरती पर रहने वाले जानवरों को भी काफी नुक्सान पहुंचता है। वहीं दूसरी तरफ बाजार में उपलब्ध सामान्य मांझा इतना खतरनाक नहीं होता है और ना ही इतना पक्का कि किसी व्यक्ति या पशु-पक्षी को घायल कर सकें।
डिप्स के एमडी सरदार तरविंदर सिंह ने कहा कि पतंग उड़ाना न केवल एक खेल है बल्कि पतंग उड़ाते समय हमारी नजर पतंग पर टिकी रहने के कारण मन की एकाग्रता बढ़ती है। आँखों की रोशनी स्वास्थ्य रहती है। सीईओ मोनिका मंडोत्रा ने कहा कि इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि बच्चे कुछ समय के लिए इलेक्ट्रानिक गैजेट से दूर रहते है और प्राकृतिक का नाजरा लेते है। पतंग के धागे को ढील देने और फिर से खींचने के कारम हाथ-पैर दिमाग और पूरे शरीर का व्यायाम भी होता है।