लुधियाना/मेट्रो एनकाउंटर नेटवर्क
हरियावल पंजाब द्वारा कचरा प्रबंधन की समस्या से निपटने के लिये एक वर्कशॉप भारतीय विद्या मंदिर, लुधियाना में आयोजित की गई। इस वर्कशॉप में लुधियाना सहित पंजाब के वातावरण प्रेमियों ने भाग लिया।
*कचरा प्रबंधन क्षेत्र में सुधार के लिये नागरिकों की भागीदारी और सहभागिता जरूरी : सुधीर पुलोरिया ( कचरा प्रबंधन माहिर इंदौर )*
कार्यक्रम में विशेष रूप से सुधीर पुलोरिया, कचरा प्रबंधन माहिर, मुख्य वक्ता रहे । जो की विशेष रूप से इंदौर से पंजाब आये थे। उन्होंने अलग अलग सत्रों के माध्यम से कचरा प्रबंधन क्षेत्र में सुधार के लिये नागरिकों की भागीदारी और सहभागिता से लेकर इंडस्ट्री की भूमिका के बारे में जानकारी दी। उन्होंने घर में आने वाले खट्टे मीठे फलों से जैव एंजाइम बनाने की विधि से सबको अवगत करवाया और उसके फायदे भी बताये। जैव एंजाइम के इस्तेमाल से जहाँ पर हम प्लास्टिक के उपयोग को कम कर सकते है, वहीं पर रसायनिक उत्पादों से मुक्ति प्राप्त कर सकते है। सुधीर पुलोरिया जी ने बताया की बढ़ते शहरीकरण और उसके प्रभाव से निरंतर बदलती जीवनशैली ने आधुनिक समाज के सम्मुख घरेलू तथा औद्योगिक स्तर पर उत्पन्न होने वाले कचरे के उचित प्रबंधन की गंभीर चुनौती प्रस्तुत की है। वर्ष-दर-वर्ष न केवल कचरे की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है बल्कि प्लास्टिक और पैकेजिंग सामग्री की बढ़ती हिस्सेदारी के साथ ठोस कचरे के स्वरूप में भी बदलाव नज़र आ रहा है। हालाँकि कचरा प्रबंधन की बढ़ती समस्या ने देश को इस विषय पर नए सिरे से सोचने को मज़बूर किया है और इस संदर्भ में कई तरह के सराहनीय प्रयास भी किये जा रहे हैं परंतु इस प्रकार के प्रयास अभी तक देश भर में व्यापक स्तर पर कचरा प्रबंधन की समस्या से निपटने के लिये पर्याप्त नहीं हैं। देश को एक व्यापक कचरा प्रबंधन नीति की आवश्यकता है जो विकेंद्रीकृत (Decentralised) कचरा निपटान प्रथाओं की आवश्यकता पर बल दे ताकि इस क्षेत्र में निजी प्रतिभागियों को हिस्सा लेने का प्रोत्साहन मिल सके।
इस अवसर पर इंडियन प्लास्टिक कण्ट्रोल एसोसिएशन IPCA की जनरल मैनेजर डॉक्टर रीना चड्ढा ने बताया की कचरा से न केवल पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है बल्कि यह समाज पर आर्थिक बोझ को भी बढ़ाता है। इसके अलावा कचरा प्रबंधन में भी काफी धन खर्च होता है। कचरा संग्रहण, उसकी छंटाई और पुनर्चक्रण के लिये एक बुनियादी ढाँचा बनाना अपेक्षाकृत काफी महंगा होता है, हालाँकि एक बार स्थापित होने के पश्चात् पुनर्चक्रण Recycle के माध्यम से धन कमाया जा सकता है और रोज़गार भी सृजित किया जा सकता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) के अनुसार, भारत में ठोस कचरा प्रबंधन में सुधार करके 22 प्रकार की बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया की कचरा को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
ठोस कचरा (Solid Waste): ठोस कचरा के तहत घरों, कारखानों या अस्पतालों से निकलने वाला कचरा शामिल किया जाता है।
तरल कचरा (Wet Waste): कचरा जल संयंत्रों और घरों आदि से आने वाला कोई भी द्रव आधारित कचरा को तरल कचरा के तहत वर्गीकृत किया जाता है।
सूखा कचरा (Dry waste): कचरा जो किसी भी रूप में तरल या द्रव नहीं होता है, सूखे कचरा के अंतर्गत आता है।
बायोडिग्रेडेबल कचरा (Biodegradable Waste): कोई भी कार्बनिक द्रव्य जिसे मिट्टी में जीवों द्वारा कार्बन-डाइऑक्साइड, पानी और मीथेन में संश्लेषित किया जा सकता है।
नॉनबायोडिग्रेडेबल कचरा (Nonbiodegradable Waste:): कोई कार्बनिक द्रव्य जिसे कार्बन-डाइऑक्साइड, पानी और मीथेन में संश्लेषित नहीं किया जा सकता।
इस अवसर पर राऊंड ग्लॉस फाउंडेशन के मैनेजर डॉक्टर रजनीश वर्मा ने कहा कि गांवों में लोगों को कचरे के निपटारे हेतु जागरूक व शिक्षित करना चाहिए क्योंकि समाज में परिवर्तन लाने के लिये आवश्यक है कि लोगों की मानसिकता में परिवर्तन लाया जाए।
हरियावल पंजाब की पंजाब टोली की तरफ से आये हुए सभी गणमान्यों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर 150वातावरण प्रेमी उपस्थित रहे। कार्यकम में पी सी गर्ग
प्रधान, भारतीय विद्या मंदिर , संजीव सूद डायरेक्टर भवानी मिल्स, मंडी गोबिंदगढ़
श्री संजीव कुमार डायरेक्टर माधव इंडस्ट्री, मंडी गोबिंदगढ़ विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। यह वर्कशॉप हरिआवल पंजाब के सदस्यों डा. राकेश शारदा वैज्ञानिक, सिफेट , प्रवीण कुमार सामाजिक कार्यकर्ता, जगराओं , भुवन गोयल डायरेक्टर ए पी रिफाइनरी , संदीप कश्यप अधिवक्ता मंडी गोबिंदगढ़ , डा.दीप्ति शर्मा प्रिंसिपल मनोज कण्डा सीनियर अकाउंटेंट, नवांशहर , डा.दीप्ति शर्मा प्रिंसिपल गढ़डीवाला , मोहित अग्रवाल कोरियर सर्विस प्रोवाइडर जगराओं द्वारा आयोजित की गई।