सुन्नत के बिना कोई मुसलमान और जनेऊ के बिना कोई हिन्दू हो सकता है क्या? भाई अमृतपाल ने भारतीय संविधान पर उठाई उंगली, कहा यह जाति-पाति परिभाषित कर समाज को बाँटने वाला।

*वारिस पंजाब दे, संस्था के प्रमुख भाई अमृतपाल सिंह खालसा की अमृत संचार मुहिम की खालसा वहीर जालन्धर पहुंची

                      जालन्धर/मेट्रो ब्यूरो

वारिस पंजाब दे, संस्था के प्रमुख भाई अमृतपाल सिंह खालसा ने भारतीय संविधान को जाति-पाति परिभाषित करने वाला बताया है। वह अपने अमृत संचार अभियान के तहत खालसा वहीर लेकर आज यहाँ अपने पड़ाव पर पहुंचे थे।

इस दौरान कुछ पत्रकारों द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि सिक्खी तो जाति पाति भेदभाव को खत्म करती है और इस में इसका कोई स्थान नहीं है। यह भारत का संविधान ही है जो जाति – पाति को परिभाषित करके भेदभाव पैदा करता है।

सिक्ख सम्प्रदाय में सहजधारी शब्द बारे पूछे जाने पर भाई अमृत पाल सिंह ने कहा कि सहजधारी नाम की कोई परिभाषा सिक्खी में नही है। उन्होंने ने सवाल किया कि सुन्नत के बिना कोई मुसलमान हो सकता है क्या? जनेऊ के बिना क्या कोई हिन्दू हो सकता है। अपने खुद के पहले सहजधारी होने के सवाल पर उन्होंने स्वीकार किया कि वह गलत था। शिरोमणि कमेटी चुनाव में सहजधारी सिक्खों को वोट अधिकार न होने पर उन्होंने कहा यह अधिकार सिक्ख होने पर ही मिल सकता है। उन्होंने सिक्ख गुरुद्वारों के जाति पाति के आधार पर अलग अलग होने के सवाल पर कहा कि ऐसा नही है और जो लोग यह प्रचार कर रहे हैं वह वो लोग है जो समाज को जाति पाति के नाम पर बांट कर लड़ाना चाहते हैं।

 

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