NAWANSHAHAR/ 5 जनवरी तक की समय सीमा पूरी हुई, शूगर मिल से निकल कर नगर को प्रदूषित करने वाली राख को रोकने में प्रशासन विफल : रजनी कंडा

* प्रशासन और मिल प्रबंधन नागरिकों को सड़क पर उतरने पर कर रहा है मजबूर

* जिला प्रशासन और प्रदूषण बोर्ड का नागरिकों की सेहत से चुपचाप खिलवाड़ होते देखना, पैदा कर रहा कई संदेह

नवांशहर/मेट्रो ब्यूरो

एक ओर जहाँ शहीद भगत सिंह नगर के सफाई मित्र कहर बरपाती सर्दी में तड़कसार नगर की सड़कों की साफ सफाई, पौधारोपण करके शहर के वातावरण को प्रदूषण मुक्त कर जिला प्रशासन और नगर कौंसल का सहयोग कर रहे वहीं स्थानीय शूगर मिल के धुएं के साथ निकलने वाली राख न केवल शहीद भगत सिंह नगर की सड़कों, हर घर की छत और आंगन में कोहरे के साथ मिलकर चारकोल सी काली चादर बन बिछ जाती है और न केवल पर्यावरण को गहरे दूषित करती है अपितु नागरिको दमे खांसी और अन्य घातक रोग भी बांट रही होती है । यह विचार आज यहां दुखी ह्रदय से समाजसेविका, पर्यावरण सरंक्षण कार्यकत्री व भाजपा नेत्री रजनी कण्डा ने एक प्रेस रिलीज में कही। गौर हो कि शहर के नागरिकों के स्वस्थ के लिए घातक इस समस्या की प्रथम व्हिसिल ब्लोअर रजनी कंडा ही थी जिसने सोशल मीडिया पर आवाज बुलंद कर शहर की स्वयं सेवी संस्थाओं और प्रशासन को जगाया था ।

 

रजनी कण्डा कहा आज कहा कि तड़क सार जब शूगर मिल के मालिक -अफसर, प्रशासनिक अधिकारी रजाइयों में दुबके होते है तब स्वयंसेवी संस्थाओं के जो स्वयंसेवक नगर में पर्यावरण सरंक्षण , सुरक्षा और संवर्द्धन के लिए कोहरे के कहर को झेल रहे होते है तब साथ साथ ही शूगर मिल की राख उनके किये कराए पर पानी फेर रही होती है। गृहणियां, जो सुबह सवेरे पाठ पूजा के बाद घर के अन्य कार्यो की शुरुआत के लिए तैयारी की योजना के साथ जागती है , घर के आंगनों में, छतों पर और यहां तक कि खुले में लगे वाश बेसिनों में जमी कालिख देख कर परेशान हो जाती है । रोज सुबह इस मुसीबत से निपटना उनके जी का जंजाल बना हुआ है।

कण्डा ने कहा कि कई बार इस मुश्किल के बारे सोशल मीडिया सहित अखबारों, वेब पोर्टलों और चैनलों के माध्यम से प्रशासन को अवगत करवाने के बावजूद न तो मिल प्रबंधन और न ही शहीद- ए आजम भगत सिंह जी के नाम वाले इस जिला मुख्यालय के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों के कान पर जूं तक रेंगी है। सभी कुम्भकर्णी नींद सोए हुए हैं। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी सिर्फ नियम कानून बनाने से अधिक कुछ नही कर रहा। इसकी वजह आसानी से समझी जा सकती है कि एक मिल प्रबन्धन पर कानूनी दबाव बना कर नियम लागू करवाने के विपरीत बोर्ड के अधिकारी नवांशहर के लाखों नागरिकों की सेहत से खिलवाड़ होता क्यों देख रहे है।

सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और सरकार की भी मिल प्रबंधन के आगे खामोशी कई संदेह पैदा करती है। इन्हें चाहिए कि इससे पहले कि दुखी होकर नागरिक खुद इस मिल को बंद करवाने हेतु सड़कों पर उतरे सरकार को इन संदेहों को दूर करना चाहिए।

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