कटड़ा/मैट्रो नेटवर्क
कटरा स्थित माता वैष्णो देवी के धाम में शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात को भक्तों के बीच मची भगदड़ में 12 लोगों की जान गई थी। हादसे के बाद माता वैष्णो देवी भवन के आसपास अफरातफरी का माहौल था। हालांकि अब यात्रा सुचारू रूप से फिर से शुरू कर दी गई है। वहीं हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों ने इसकी खौफनाक कहानियां सुनाई हैं। कुछ का तो कहना है कि जब भगदड़ मची थी तो कुछ लोग जमीन पर गिर गए थे। इसके बाद कुछ लोग जान बचाने के लिए उनके ऊपर से भागे। कुछ तो अपनी जान बचाने के लिए खंभों पर चढ़ गए थे।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि वह भवन से लौट रहा था उसने पुलिस चौकी के पास लोगों को पीछे मुड़ते और भागते देखा उसने बताया, ‘मुझे नहीं पता था कि क्या हुआ था, लेकिन मैंने देखा कि बहुत से लोग मेरे पास गिर रहे हैं फिर, मैं नीचे गिर गया और लोग भी मेरे ऊपर गिरे मेरे मन में एक ही विचार था कि मैं जीवित नहीं रह सकता मैं बेहोश हो गया था’
उसने बताया, ‘जब मैं होश में आया तो देखा कि मेरे आसपास बहुत सारे शव पड़े हैं। मैं अपने बड़े भाई को खोजने लगा। वह कुछ दूरी पर ही बेहोश पड़े मिले स्थानीय लोगों और कुछ श्रद्धालुओं की मदद से मैं उसे पास के एक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाने में कामयाब रहा वहां डॉक्टरों ने हमें प्राथमिक इलाज दिया इसके बाद हमें एम्बुलेंस में कटरा के एक अस्पताल ले जाया गया था।’ आयुष अपने भाई और एक दोस्त के साथ वैष्णो देवी आया था।
उसका कहना है कि वैष्णो देवी में भीड़ को नियंत्रित करने वाला कोई नहीं था किसी ने यात्रा पर्चियों और कोविड जांच रिपोर्ट की भी जांच नहीं की थी वहीं दिल्ली के विकासपुरी के एक बिजनेसमैन ने भगदड़ से कुछ घंटे पहले अपनी पत्नी और 17 वर्षीय बेटे के साथ वैष्णो देवी के दर्शन किए थे उनका कहना है, ‘बस, जान बच गई हमारी’ इस घटना के लिए उन्होंने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि वे लोग माइक से लोगों के लिए अनाउंसमेंट कर सकते थे लोगों को बता सकते थे कि वे कहां हैं और क्या करें.’
उन्होंने कहा कि हम एक पुलिस सिक्योरिटी रूम के पास पहुंचे, तो अनियंत्रित युवकों के एक समूह ने हमारे बेटे को टक्कर मार दी, जिससे उसको चोट लग गई’ इससे पहले कि हम कुछ कर पाते, हमने देखा कि हमारी ओर 300-400 लोगों की भीड़ दौड़ी आ रही है हमने पुलिस सिक्योरिटी रूम में शरण ली, जो पहले से ही भीड़भाड़ वाला था हाथापाई के दौरान कई लोगों ने अपने छोटे बच्चों को सुरक्षा के लिए हमें सौंप दिया’
उन्होंने कहा कि परिसर में मनोकामना भवन के पास, 400-500 लोगों का एक और समूह दूसरों को आगे बढऩे के लिए धक्का दे रहा था देखते ही देखते लोग इधर-उधर भागने लगे भीड़ को नियंत्रित करने वाला कोई नहीं था जैसे ही कुछ गिरे, अन्य उनके ऊपर दौड़ पड़े थे।