*देव ऋषि नारद जयंती पर विश्व संवाद केंद्र की गोष्ठि में विकास के विषय पर पत्रकारिता की आवश्यकता पर बल।
* अटल जी विभिन्न खतरों की आशंका के बावजूद प्रेस की स्वतंत्रता के समर्थक थे:रमेश चंद्र
जालन्धर/मैट्रो ब्यूरो
विकास के विषय पर पत्रकारिता वर्तमान समय की आवश्यकता है व सही सूचना का संकलन और प्रसारण ही समाचारों का सत्यापन कर सकता है।
यह शब्द सेवानिवृत कर्नल, ए एन आई के पूर्व प्रमुख व भारतीय जनता पार्टी के पंजाब यूनिट के प्रवक्ता जयबंस सिंह ने कहे। वह आज यहाँ देव ऋषि नारद जयन्ती पर विश्व संवाद केंद्र द्वारा ” राष्ट्र निर्माण में पत्रकारों का योगदान, वर्तमान समस्याएं व समाधान” विषय पर आयोजित गोष्ठी के मुख्य वक्ता के रुप में बोल रहे थे।
कर्नल जयबंस ने स्वन्त्रता संग्राम के दौरान पत्रकारों के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय पत्रकारिता में मुख्य भूमिका बैरिस्टरों, लेखकों,शिक्षकों और चिन्तकों ने अदा की। उन्होंने इस सूची बाल गंगाधार तिलक जवाहर लाल नेहरू, लाला हरदयाल, लाला लाजपत राय इत्यादि का उल्लेख किया।
वर्तमान पत्रकारिता की बड़ी समस्या को रेखाँकित करते हुए कहा कि प्रिंट के बाद इलेक्ट्रॉनिक और अब न्यू मीडिया या सोशल मीडिया में अप्रशिक्षित और अकुशल लोगों की भारी भीड़ का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पूर्व में पत्रकार लेखन क्षेत्र से आते थे लेकिन अब ऐसा नही है, जिस वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि लेखन और अध्धयन के बिना आकलन या शोध संभव नही है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में राजनीति , खेल , मनोरंजन क्षेत्र पर ही केंद्रित है जबकि संमय की आवश्यकता विकास, पर्यावरण, विज्ञान ,कृषि या ग्रामीण अंचल पर केंद्रित पत्रकारिता के प्रति भी रुचि का पैदा किया जाना जरूरी है।
राजनीतिक क्षेत्र से अब नरेटिव बिल्डिंग, गलत जानकारी के प्रेषण या कम जानकारी से ही वक्तव्यों या बहस इत्यादि में उतरना भी पत्रकारिता के लिए समस्या है। उदाहरण के रूप में उन्होंने कहा कि यदि पत्रकारिता का प्रयोग मिस इन्फॉर्मेशन के साथ होने की बात हो तो आम आदमी पार्टी का जिक्र किया जा सकता है जब कि जानकारी के अभाव के साथ पत्रकारिता के प्रयोग की बात हो तो भाजपा और संघ का जिक्र हो सकता है।
पत्रकारों के राजनीति में आने के संदर्भ में उन्होंने भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए कर्नल जयबंस ने कहा कि वाजपेयी ने विपक्ष रहते हुए सत्ता पक्ष को और सत्ता में रहते हुए कभी विपक्ष को नीचा दिखाने का प्रयास नही किया।
उपरोक्त समस्याओं के समाधान के लिए उन्होंने कौशल प्रशिक्षण, लेखन और अध्ययन की अनिवार्य बताया।
अध्यक्षीय संबोधन में भारत के पूर्व राजदूत रमेश चंद्र ने प्रेस और अभव्यक्ति कि आजादी को विकास और नव राष्ट्र निर्माण के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों आलोचना से डरना नही चाहिए अपितु इसे मार्गदर्शन के रूप में।लेना चाहिए। उन्होंने अपना अनुभव सांझा करते हुए कहा कि विदेशों जब भारत के बारे नकारात्मक खबरें छपती है तब उसकी लीकेज भारत के भीतर से होती थी।
अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे विभिन खतरों की आशंका के बावजूद वह प्रेस की स्वतन्त्रता के पक्षधर थे। रमेश चंद्र ने कहा कि जिस प्रकार लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रेस की स्वतंत्रता अनिवार्य है उसी प्रकार सत्यापित और पुष्ट जानकारी ही पत्रकारिता के ऊंचा उठे रहने के लिए अनिवार्य है।
कार्यक्रम में गीत की प्रस्तुति अश्वनी वर्मा और साहिल की । मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार राकेश शान्तिदूत ने किया जब कि धन्यवाद प्रस्ताव केंद्र के स्थानीय संयोजक एड़वोकेट भूपिंदर सिंह ने रखा। केंद्र की तरफ से भूपिंदर सिंह, संदीप नारंग, ययाति शर्मा, नवीन संगर ने कर्नल जयबंस और रमेश चन्द्र को स्मृति चिन्ह भी भेंट किये। ज्योति प्रज्वलन से शुरू हुआ कार्यक्रम राष्ट्रगान से सम्पन्न हुआ।