अब भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं होगी: मोदी

पीएम की मौजूदगी में अशोक गहलोत ने कहा देश में है हिंसा और तनाव का माहौल

आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रैंसिंग के जरिए बोल रहे थे प्रधानमंत्री

कहा- सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 वर्ष का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है

नई दिल्ली/मैट्रो नेटवर्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आज आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान वे लोगों को संबोधित कर रहे हैं। इस मौके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो। एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता और सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो। हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है, और जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं। इस कार्यक्रम में स्वर्णिम भारत के लिए भावना भी है, साधना भी है। इसमें देश के लिए प्रेरणा भी है, ब्रह्मकुमारियों के प्रयास भी हैं।

हालांकि इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी एक बार असहज भी नजर आए जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनका नाम लेते हुए कहा कि देश में हिंसा और तनाव का माहौल व्याप्त है। सीएम गहलोत ने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि देश में भाईचारा, शांति और सद्भाव मजबूत हो और इसकी आवश्यकता भी है। उन्होंने कहा कि देश में तनाव और हिंसा से छुटकारा मिले ये आपकी, हम सबकी इच्छा है। गहलोत ने कहा कि मैं समझता हूं कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही समाज को और देश को आगे बढ़ा सकते हैं, जहां पर शांति और विकास होगा।

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने मोदी कहा कि अमृतकाल का ये समय, सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है। आने वाले 25 साल, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं। सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 वर्ष का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है।

दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा, देवी के रूप में करता था। हमारे यहां गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियां समाज को ज्ञान देती थीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कठिनाइयों से भरे मध्यकाल में भी इस देश में पन्नाधाय और मीराबाई जैसी महान नारियां हुईं। अमृत महोत्सव में देश जिस स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहा है, उसमें भी कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिये हैं। उन्होंने कहा कि देश के लोकतंत्र में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। 2019 के चुनाव में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया। आज देश की सरकार में बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां महिला मंत्री संभाल रही हैं। अब समाज इस बदलाव का नेतृत्व खुद कर रहा है।

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