जालन्धर/ मेट्रो ब्यूरो
*छोटेपुर के जाने के बाद माझा में खोया आधार पा सकती है पार्टी, सेखवां अकाली नेताओ में अपेक्षाकृत साफ छवि के नेता रहे
कभी बादल परिवार के खासम खास रहे पूर्व मंत्री सेवा सिंह सेखवां आज सुखदेव सिंह ढींडसा के नेतृत्व वाले संयुक्त अकाली दल को अलविदा कर आम आदमी पार्टी(आप) में शामिल हो गए। उन्हें पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने खुद उनके गृह ज़िला गुरदासपुर पहुंच कर पार्टी में शामिल किया है।
कई दिनों से यह चर्चा थी कि आप मुख्यमंत्री पद के लिए किसी सिक्ख चेहरे की तलाश में है और सेखवां का इस चर्चा के संदर्भ में नाम लिया जा रहा था। हालांकि केजरीवाल ने फिलहाल ऐसी कोई घोषणा नही की। पंजाब विधानसभा की सीटों की संख्या और क्षेत्रफल के हिसाब से मालवा के बड़ा होने के चलते लंबे समय से मुख्यमंत्री मालवा से ही आता है। सेखवां अकाली दलों से जुड़े या रहे पंजाब के माझा क्षेत्र के कदावर नेताओ में से एक है और दोआबा के अकाली वर्करों में भी उनका अच्छा आधार इस वजह से है कि वह यहाँ कई बार स्थानीय निकाय चुनाव में बादलों के अकाली दल से चुनाव प्रभारी रहे हैं।
अब बड़ा सवाल है कि क्या सेखवां के आने से आप की उक्त तलाश पूरी हो गई है? पर्यवेक्षकों की माने तो यह कहना जल्दी है लेकिन इनका कहना है कि सेखवां के आने से आप ने माझा से सुच्चा सिंह छोटेपुर के पार्टी छोड़ कर जाने से हुए घाटे को पूरा किया है। वैसे यह राजनीतिक पर्यवेक्षक यह अवश्य मानते हैं कि यदि माझा और दोआबा को जोड़ कर देखा जाए तो विस् सीटों के मामले में यह काफी नजदीक जा पहुंचती है। सेखवां के आने से अकाली सिक्ख वोटरों के वोट बैंक में आप दोनों क्षेत्रों में सेंध लगा सकती है। पार्टी मालवा के मुकाबले यहाँ वैसे भी अभी कमजोर है और मालवा में सभी पार्टियों के बड़े आधार की वजह से कड़ी टक्कर में किसी भी संभावित खतरे से होने वाले नुकसान को वह माझा दोआबा से पूरा कर सकती है। यदि आप सांकेतिक रूप से भी मुख्यमंत्री माझा दोआबा से देने की बात करे तो यह इन दोनों क्षेत्रों में भारी पड़ सकती है क्यों कि कांग्रेस के पास इन जगहों पर सिद्धू के सिवाए कोई नेता नही है और सिद्धू बगावत की वजह से खुद संकट में हैं। आप के पास भी मालवा में भगवंत मान के सिवाए दूसरा कोई चेहरा नही है।