अमृतसर/ मेट्रो एनकाउंटर ब्यूरो
वयोवृद्ध भाजपा नेत्री प्रोफेसर लक्ष्मीकान्ता चावला ने कहा है कि पंजाब सरकार सूबे में संस्कृत भाषा पढ़ाने का प्रबंध करे।
मेट्रो को ईमेल से भेजे अपने वक्तव्य में कहा कि वर्ष 2002 से पंजाब के सभी स्कूलों में संस्कृत विषय लगभग समाप्त कर दिया है। केवल कुछ निजी स्कूल दसवीं तक बच्चों को संस्कृत पढ़ा रहे हैं। जब स्कूलों में संस्कृत नहीं पढ़ाई जा रही तो कालेजों में तो यह विषय ही खत्म् हो गया। उन्होंने ने प्रश्न किया कि क्या सरकार जानती है कि पंजाब के एक बड़े महिला कालेज की प्रिंसिपल जो संस्कृत में पीएचडी थी, संस्कृत लेक्चरार थी उसे हिंदी की पोस्ट के लिए वेतन दिया जाता था।
पूर्व मंत्री ने कहा कि पंजाब में यह पुरानी प्रथा रही है कि संस्कृत पढ़ने के लिए जो भी विद्यार्थी हिमाचल, उत्तरप्रदेश आदि से पंजाब में आते थे उनको भोजन, आवास की सुविधा सहित संस्कृत में शिक्षा दी जाती थी। अमरिंदर सरकार और 2007 से बनी अकाली—भाजपा सरकार के समय से संस्कृत को पूरी तरह पंजाब से निकालने का प्रयत्न किया गया और संस्कृत को निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।
उन्होंने कहा कि मौजूदा पंजाब सरकार उत्तर दे कि क्या संस्कृत देश की भाषा है या नहीं? यह सच नहीं कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने शिष्यों को संस्कृत पढ़ने के लिए वाराणसी भेजा था? क्या यह सच नहीं कि संस्कृत के ज्ञान के बिना अपने अपने धर्म से दूर हो जाएंगे और गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा लिखी गई वाणी भी समझ नहीं पाएगे। इसलिए देश हित, पंजाब हित में और हमारा जो समाज जन्म से लेकर मरण तक संस्कृत में ही अपने 16 संस्कार संपन्न करवाता है ,वह संस्कृतज्ञों को कहां से लाएगा? पूर्व मंत्री ने मांग की है कि कुछ संस्थाएं जो संस्कृत पढ़ा रही हैं उनको सरकार विशेष अनुदान दे।
उन्होंने कहा कि पंजाब के धार्मिक और संस्कृत का महत्व जानने वाले शिक्षाविदों तथा दानी सज्जनों से भी अपील है कि वे संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए आगे आएं।